सिंधु सभ्यता क्या हैं? | वैदिक सभ्यता क्या हैं? | भारत के इतिहास का "प्रागैतिहासिक काल" (सिंधु सभ्यता व वैदिक सभ्यता)

"प्रागैतिहासिक काल" (सिंधु सभ्यता व वैदिक सभ्यता)

सिन्धु सभ्यता

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भारत का प्रागैतिहासिक इतिहास || Prehistoric history || (सिंधु सभ्यता)

  • मोहन जोदड़ो की सबसे बड़ी इमारत थी। - विशाल अन्नागार
  • पंजाब प्रान्त के रोपड़ जिले में सतलज नदी के किनारे वह कौन सा स्थान हैं जहाँ पर हड़प्पा कालीन और हड़प्पा से पूर्व की संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। - रोपण
  • गुजरात राज्य के अहमदाबाद जिले में (खम्भात की खाड़ी के ऊपर ) भोगवा नदी ( लिम्रिकोभीगवा ) के किनारे हड़प्पाकालीन कौन सा स्थान स्थित हैं। - लोथल
  • कहा कि सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपलब्धि 'हड़प्पा कालीन बन्दरगाह' ( dockyard ) की खोज हैं। - लोथल
  • किस स्थान से प्राप्त अवशेषों से ज्ञात होता है कि वहाँ के निवासी 1800 ईसवी पूर्व में चावल उगाते थे। - लोथल
  • वर्तमान राजस्थान राज्य में घग्गर नदी पर स्थित किस स्थान से हड़प्पा पूर्व संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। - कालीबंगा
  • किस सैन्धव स्थल से ' जूते हुए खेत के साक्ष्य ', ' मकान के निर्माण में कच्ची ईटो के प्रयोग का साक्ष्य ', ' लकड़ी के नाली का साक्ष्य ' तथा ' चबूतरे पर हवनकुंड के साक्ष्य ' मिले हैं। - कालीबंगा
  • उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में हिण्डन नदी के तट पर कौन सा स्थल स्थित हैं जो हड़प्पा संस्कृति की सुविख्यात पूर्वी सिमा थी। - आलमगीर
  • गुजरात राज्य के काठियावाड़ प्रायद्वीप मे वह कौन सा स्थल है जहाँ पर उत्तर हड़प्पा अवस्था के प्रमाण प्राप्त हुए हैं। - रंगपुर
  • किस सैन्धव स्थल से धान की भूसी ढेर, मृदभाण्ड, पत्थर के फलक आदि के साक्ष्य मिले हैं। - रंगपुर 
  • हरियाणा राज्य के हिसार जिले में स्थित वह कौन सा स्थल है जहाँ पर दो संस्कृतिक अवस्थाए हड़प्पा पूर्व और हड़प्पा कालीन देखी गईं। - बनवाली
  • पाकिस्तान के सिन्ध प्राप्त में मोहन जोदड़ो से 30 किमी. दक्षिण में स्तिथ वह कौन सा स्थल हैं जहाँ पर मुहर, गुडियों के निर्माण के साथ- साथ हड्डियों से निर्मित विभिन्न वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। सौन्दर्य प्रसाधन में प्रयुक्त लिपिस्टिक के अवशेष भी मिले ह। - चन्हूदड़ों
  • गुजरात राज्य में कच्छ जिले के भचाऊ क्षेत्र में कौन सा सैन्धव स्थल स्थित हैं। - धोलावीरा
  • सिन्धु सभ्यता में पक्षियों में किसको पूजा होती थी। - कबूतर
  • हड़प्पा सभ्यता में सामान्य प्रत्येक नगर दो भागों में विभाजित थे। वह कौन सा नगर था जो तीन भागों में विभाजित था। - धोलावीरा
  • किस सैन्धव स्थल से ' शैलकृत स्थापतय ' ( Rockcut Architecture ) के प्रमाण मिले हैं। - धोलावीरा
  • सिन्धु सभ्यता के लोग लेखन कला से परिचित थे किन्तु उनकी लिपि। - अभी तक पढ़ी नही जा सकी हैं
  • सिन्धु घाटी की सभ्यता किस युग की मानी जाती हैं। - कांस्य युगीन 
  • दयाराम साहनी ने पंजाब प्रांत के मांटगोमरी जिले में रावी नदी के बाये तट पर हड़प्पा नामक स्थान की खोज कब की। - 1921 ई.
  • सन् 1922 ई. में किसने सिन्ध प्रांत के लरकाना जिले में सिधु नदी के दाहिने तट पर मोहनजोदड़ो नामक स्थान की खोज की। - राखल दास बनर्जी
  • सैंंधव सभ्यता, सिन्धु घाटी सभ्यता, हड़प्पा सभ्यता व सिन्धु सभ्यता में से इसका सर्वोपयुक्त नाम क्या हैं। - हड़प्पा सभ्यता
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 (हड़प्पा सभ्यता) || hadappa sabhyata || Harappan Civilization || प्रागैतिहासिक  काल
  • 'हड़प्पा' एक गैर -भौगोलिक शब्द हैं जबकि मोहनजोदड़ो का अर्थ हैं। - मृतको का टीला
  • किस भाषा मे मोहनजोदड़ो का अर्थ मृतकों का टीला हैं। - सिन्धी भाषा
  • वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित हड़प्पा एव मोहनजोदड़ो की खोज का कार्य किसके निर्देशन में हुआ था। - सर जॉन मार्शल
  • सैन्धव सभ्यता किस प्रकार की सभ्यता थी। - नगरीय तथा व्यपार-व्यवस्था प्रधान
  • किस सैन्धव स्थल से दो शवो वाली कब्र मिली है। - लोथल
  • किस सैन्धव स्थल से गोदी बाड़ा होने की सम्भावना व्यक्त की गयी हैं। - लोथल
  • किस सैन्धव स्थल से नर्तकी की एक कांस्य मूर्ति प्राप्त हुई हैं। - मोहनजोदड़ो
  • सैन्धव सभ्यता का 1921 ई. में सबसे पहले कहा पता चला था जिसके नाम पर उसका नामकरण किया गया। - हड़प्पा
  • हड़प्पा संस्कृति का विकास उत्तर में जम्मू से लेकर दक्षिण में नर्मदा के मुहाने तक था। पश्चिम में यह बलूचिस्तान के मकरान तट तक फैला था। उत्तर पूर्व में इसका विस्तार कहा तक था। - मेरठ तक
  • भरतीय उपमहाद्वीप में अब तक हड़प्पा सभ्यता के लगभग कितने स्थलों का पता लगाया जा चुका हैं। - लगभग 1500
  • समूचा हड़प्पा क्षेत्र त्रिभुज के आकार का हैं। अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार इसका कुल क्षेत्रफल कितने वर्ग किलोमीटर में फैला था। - 1,299,600 वर्ग किलोमीटर
  • परिपक्व अवस्था वाले कुल कितने हड़प्पा स्थलों को नगर की सज्ञा दी जाती हैं। - 6 ( हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, लोथल, चन्हूदड़ों, कालीबंगा व बणवाली )
  • कालीबंगा का अर्थ होता हैं। - काले रंग की चूड़ियां
  • हरियाणा के घग्गर नदी के तट पर स्थित वह स्थान कौन सा है जो धौलावीरा से बड़ा है और जहाँ हड़प्पा संस्कृति की तीनो अवस्थाये देखने को मिलती हैं। - राखीगढ़ी
  • गुजरात के  काठियावाड़ प्रायद्वीप में स्थित वे कौन-से दो स्थल हैं जहाँ उत्तर हड़प्पा सभ्यताए पाई गई हैं। - रंगपुर और रोजदी
  • मोहनजोदड़ो में स्थित सबसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थल का नाम क्या है जो ईटो से बना था। - विशाल स्नानागार
  • मोहनजोदड़ो की सबसे बड़ी इमारत कौन सी है जो 45.71 मीटर लम्बी और 15.23 मीटर चौड़ी थीं। - अनाज रखने का कोठार
  • हड़प्पा काल मे एक हड़प्पा क्षेत्र में प्रचुर वर्षा होती थी लेकिन कालांतर में वहां वर्षा की मात्रा में लगातार कमी आती गई। उस क्षेत्र में कितनी वर्षा होती हैं। - 15 सेमी
  • सिन्धु क्षेत्र में सैन्धव सभ्यता के लोग सिन्धु नदी के बाढ़ का पानी उतर जाने के बाद नवम्बर के महीने में बाढ़ वाले मैदान में बीज बो देते थे। अगली बाढ़ आने से पहले वे कब गेहूँ और जौ की फसल काट लेते थे। - अप्रेल महीने में
  • हड़प्पा काल के किस स्थल से लकड़ी के हल जोते जाने का प्रमाण मिला हैं। - कालीबंगा
  • हड़प्पा और मोहनजोदड़ो के अलावा अन्य किस सैन्धव स्थल पर अनाज को बड़े-बड़े कोठारों में जमा किया जाता हैं। - कालीबंगा
  • सर जॉन मार्शल ने सिन्धु सभ्यता नामक एक उन्न्त नगरीय व्यवस्था की खोज की विधिवत घोषणा कब की। - 1924 में
  • रेडियो कार्बन डेटिंग ( सी-14 ) के आधार पर सैन्धव सभ्यता की तिथि कब से कब तक निर्धारित की गई। - 2500 ई. पू. से 1750 ई. पू. तक
  • मोहनजोदड़ो एव लोथल से प्राप्त एक संदिग्ध मूर्तिका ( टेराकोटा ) से किस पशु के अस्तित्व का सकेत मिलता हैं। - घोड़ा 
  • क्या सैन्धव सभ्यता अश्वकेन्द्रीय थी। - नहीं 
  • सबसे पहले ' कपास ' पैदा करने का श्रेय सिन्धु सभ्यता के लोगों को जाता हैं, कपास पैदा करने के कारण यूनान ( ग्रीक ) के लोग इसे क्या कहते थे जो ' सिन्धु ' शब्द से निकला हैं। - सिंडन
  • सैन्धव सभ्यता के लोग मूलतः किन पशुओं को पालते थे। - गाय, बैल, भैस, बकरी, कूबड वाला सांड
  • गुजरात के पश्चिम में अवस्थित किस सैन्धव स्थल से घोड़े के अवशेष मिले हैं जो 2000 ई. पू. के आसपास के बताये गये हैं। - सुरकोतड़ा
  • हड़प्पा के लोगों को अन्य किन पशुओं का ज्ञान था। - हाथी एव गेंडा
  • सिन्धु सभ्यता के लोग मुख्यतः कौन-सी फसल उगाते थे। - गेहूँ, जौ, राई, मटर, तिल, सरसो
  • हड़प्पा लोग कांसा किन धातुओं को मिलाकर बनाते थे। - तांबा व टिन
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"मोहनजोदड़ो" || Mohenjodaro ||  (सिंधु सभ्यता)  प्रगैतिहासिक काल

  • किस सैन्धव स्थल से सूती कपड़ों का एक टुकड़ा प्राप्त हुआ है। - मोहनजोदड़ो
  • हड़प्पा में जो गाड़िया प्रचलन में थी वे किस प्रकार की थीं। - ठोस पहिये वाली
  • हड़प्पा के लोग जिस पहिया का प्रयोग करते थे उसमें क्या नही होता था। - आरेदार पहिया 
  • पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त में स्थित किस नगर में पत्थरों से निर्मित विशाल दुर्ग का पता चला हैं। - अलीमुरद
  • सैन्धवजन किस प्रणाली पर आधारित बांट का प्रयोग करते थे। - दशमलव प्रणाली
  • सैन्धव सभ्यता के लोगो का किस वाणिज्यिक बस्ती के माध्यम से मध्य एशिया के साथ व्यापार होता था। - उत्तरी अफगानिस्तान
  • हड़प्पा सभ्यता के लिपि ' अक्षर सूचक ' न होकर, हैं। - भावचित्रात्मक
  • हड़प्पा सभ्यता की लिपि के लिखावट हैं। - दाएँ से बाएँ
  • स्त्री के गर्भ से निकलकर पौधे वाली मृण्मूर्ति ( पृथ्वी देवी ) किस सैन्धव स्थल से मिली हैं। - हड़प्पा
  • सैन्धव सभ्यता की वह समकालीन सभ्यता कौन-सी थी जहाँ की खुदाई में बड़ी सख्या में हड़प्पा मुहरे मिली हैं और ऐसा लगता हैं कि हड़प्पा के लोगों ने उस सभ्यता के नागरिकों के अनेक प्रसाधनों का अनुकरण किया था। - मेसोपोटामिया
  • मेसोपोटामिया और मेलुहा के बीच में स्थित किन दो मध्यवर्ती व्यापार केन्द्रों का उल्लेख मिलता हैं। - दिलमन एवं मकन
  • ' दिलमन ' की पहचान फारस की खड़ी में स्थित किस बन्दरगाह से की जाती हैं। - बहरैन
  • उत्तर हड़प्पा अवस्था के किस स्थल से ' अग्नि ' पूजा का साक्ष्य मिलता हैं। - लोथल से 
  • लिंग पूजा की प्रथा कब से प्रारम्भ मानी जाती हैं। - हड़प्पा काल से
  • सैन्धव सभ्यता की एक मुहर पर पुरूष देवता चित्रित हैं जिसके सिर पर तीन सींग हैं। यह देवता योगी की ध्यान मुद्रा मे पदमासन की अवस्था मे बैठा है और उसके चारों ओर एक हाथी, एक बाघ तथा एक गैंडा है। उसके आसन के नीचे एक भैसा तथा पावो के पास दो हिरण हैं। इस देवता को कहा गया हैं। - पशुपति महादेव
  • सिन्धु सभ्यता के लोग किस वृक्ष की पूजा करते थे। - पीपल
  • हड़प्पा सभ्यता की सर्वोत्तम विशेषता इसका ' नगर नियोजन ' है। इन नगरो की सड़कों एक-दूसरे को समकोण पर काटती थी जिससे नगर कई खंडो में विभक्त हो गया था। इस पद्ति को किस नाम से जाना जाता हैं। - ऑक्सफोर्ड सर्कस
  • ' क्वेटा ' घाटी में स्थित वह आरम्भिक सैंधव स्थल कौन-सा है जहाँ से बड़े बड़े ईटो वाले घर पाये गये हैं। - दंब सादात
  • खम्भात की खाड़ी ( अरब सागर ) में स्थित वह कौन-सा सैन्धव स्थल है, जहाँ 216 मीटर लम्बी, 36 मीटर चौड़ी तथा 3 मीटर गहरी ईटो से निर्मित गोदी का पता चलता हैं। - लोथल
  • सैन्धवजन मुख्यतः किस पशु की पूजा करते थे। - एक सींग वाले गैंडा और कुबड़वाले सांड की 
  • कृषक समुदायों के उदभव का सर्वाधिक प्राचीन प्रमाण किस स्थान से मिलता है, जो पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में बेलन दरे के निकट स्थित हैं। - मेहरगढ़
  • आरम्भिक सिन्धु सभ्यता के कीली गुल मुहम्मद और मुंडीगक नामक स्थान वर्तमान में स्थित हैं। - क्रमशः बलूचिस्तान व दक्षिण अफगानिस्तान में
  • मोहनजोदड़ो के सामने सिन्धु नदी के बाये किनारे पर कौन-सा सैन्धव स्थल स्थित था। - कोटदीजी
  • भारत का इतिहास किस काल से आरम्भ होता है। - प्रागेतिहासिक काल से
  • सिन्धु घाटी सभ्यता की विकसित अवस्था में किस स्थल से घरों में कुओं के अवशेष मिले हैं। - मोहनजोदड़ो
  • सैन्धव व्यापारिक केन्द्रों से मेसोपोटामिया के साथ व्यापार किस मध्यस्थ बन्दरगाह से होता था। - दिलमुन
  • मोहनजोदड़ो से प्राप्त पशुपति मुहर पर योगी की मुद्रा में चार पशुओं से आवर्त एक देवता का अकंलन हैं। ये चारों पशु हैं। - चीता, गेंडा, भैसा तथा हाथी 
  • मोहनजोदड़ो के आवासीय ग्रह बने हुए थे। - ईटो से
  • पशुपति अंकित मुहरे कहा से मिली हैं। - मोहनजोदड़ो
  • सिन्धु घाटी सभ्यता का इलाका स्थित है। - पाकिस्तान में
  • सिन्धु घाटी की सभ्यता एवं वैदिक सभ्यता में मुख्य अन्तर हैं। - नगरीय एवं ग्रामीण सभ्यता
  • किस ताम्रशमकालीन स्थल से ताँबे के प्रयोग का साक्ष्य प्राप्त हुआ है किन्तु प्रस्तर उपकरण प्राप्त नहीं हुए। - आहड़
  • मांडा का पुरातत्वस्थल जो भारत की सीमा के अंतर्गत हड़प्पा संस्कृति के सबसे उत्तरी छोर को अंकित करता है किस नदी पर हैं। - चेनाब 
  • मुडीगाक का हडप्पीय स्थल है। - अफगानिस्तान में
  • सिन्धु घाटी सभ्यता का सम्बंध है। - प्रस्तर धातु युग
  • पाक-हड़प्पा का साक्ष्य कहाँ से नही हुआ है। - रंगपुर
  • किस सैन्धव नगर में बर्तन में शव दफनाने के साक्ष्य मिले हैं। - सुरकोटदा
  • गरुड़-अंकित मुहर एक ही सैन्धव नगर से प्राप्त हुई। वह नगर कौन सा है। - हड़प्पा
  • प्रारम्भिक हड़प्पा स्तरों से एक ही खेत मे साथ-साथ दो फसलो के उगाने का साक्ष्य प्राप्त होता है। - सरायखोला
  • सिन्धु सभ्यता के किस नगर के प्रवेश-द्वार पर सुरक्षा गृह जैसी सरचना प्राप्त हुई है। - धौलावीरा
  • सिन्धु सभ्यता के किस क्षेत्र में जली हुई चीजो की मोटी परत मिली है जिससे भीषण अग्निकाण्ड होने का अनुमान किया जाता है। - बलूचिस्तान
  • किस सैन्धव नगर से शतरंज के ज्ञान के साक्ष्य प्राप्त हुए है। - लोथल
  • लोथल के अतिरिक्त किस अन्य सैन्धव नगर में आभूषण निर्माताओं की दुकान होने के साक्ष्य मिले हैं। - चन्हुदडो 
  • सिन्धु सभ्यता के नगर से एक ऐसा भाण्ड मिला है, जिस पर एक चालाक लोमडी वाली कथा उत्कीर्ण होने की बात की गई है। यह भाण्ड किस नगर से मिला है। - लोथल
  • सिन्धु सभ्यता के किस नगर में रथ के साक्ष्य मिले हैं। - दैमाबाद
  • सिन्धु सभ्यता के नगरों की घेरेबंदी का सबसे स्टील उद्देश्य मालूम पड़ता है। - बाढ़ से बचाव 
  • हड़प्पाकालीन व्यापार करते थे। - इराक, ईरान, चीन, अफगानिस्तान से
  • सिन्धु घाटी के लोग पूजा करते थे। - मातृदेवी की 
  • सिन्धु घाटी की लिपि की सूचना प्राप्त होती है। - मुहरों से
  • सिन्धु सभ्यता से सम्बंधित नृत्य करती हुई महिला की मूर्ति बनी है। - कांस्य की
  • सिन्धु सभ्यता में सर्वाधिक मुहरे किस चीज से बनी हुई है। - सेलखड़ी
  • हड़प्पा के लोग अनभिज्ञ थे। - लोहा से 
  • युग्म शवधान का साक्ष्य प्राप्त हुआ है। - लोथल से 
  • हड़प्पा में पायी गयी ईटो के नाप का अनुपात है। - 4 : 2 : 1

वैदिक सभ्यता

  • वैदिक शब्द वेद से बना है, वेद का अर्थ है ज्ञान। वैदिक संस्कृति के निर्माता आर्य थे। वैदिक संस्कृति में आर्य शब्द श्रेष्ठ, शिफ्ट अथवा सज्जन आदि के लिए प्रयुक्त हुआ है।
  • ऋग्वैदिक काल में आर्यो का जीवन कबीलाई प्रकार का था, जहाँ उनका जीवन अस्थायी प्रकार का होता था एवं युद्धों की प्रधानता थी।
  • ऋग्वेद में सप्त सैन्धव प्रदेश का वर्णन मिलता है। यह सात नदियों ( सिन्धु, सतलुज, व्यास, रावी, चेनाब तथा झेलम ) से घिरा क्षेत्र था। ऋग्वेद में अफगानिस्तान की चार नदियों कुंभा, क्रुमु, गोमल और सुवास्तु का उल्लेख है। इससे स्पष्ट है कि आर्य सर्वप्रथम पंजाब और अफगानिस्तान क्षेत्र में बसे थे।
  • ऋग्वेद में सभा ( आठ बार ), समिति ( नो बार ), विदथ ( 122 बार ) तथा गण जैसी संस्थाओं का उल्लेख मिलता है। ऋग्वेद की सबसे प्राचीन संस्था विदथ थी। सभा मुख्य रूप से व्रद्ध जनो एव कुलीन व्यक्तिगत की संस्था थी। इसके सदस्यों को सुजान कहा जाता था। समिति कबीलों की आम सभा थी, जिसके प्रमुख को ईशान कहा जाता था।
  • ऋग्वेद में ' वर्ण ' शब्द रंग के अर्थ में तथा कही-कही व्यवसाय चयन के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। प्रारंभ में हमें तीन वर्णो का उल्लेख मिलता है। शुद्र शब्द का उल्लेख सर्वप्रथम ऋग्वेद के दसवें मण्डल के पुरूष सूक्त में मिलता है।  ऋग्वेद में दास प्रथा का उल्लेख भी मिलता है।
  • ऋग्वैदिक काल मे तीन प्रकार के वस्त्र प्रचलित थे नीवी ( अधोवस्त्र ) शरीर के निचले हिस्से में पहला जाने वाला वस्त्र, वास ( उत्तरीय ) शरीर के मध्य भाग में पहना जाने वाला वस्त्र तथा अधिवास ( द्रापी ) शरीर के ऊपर पहना जाने वाला वस्त्र।
  • ऋग्वैदिक आर्यो का प्रारम्भिक जीवन अस्थायी था। इनकी संस्कृति मूलतः ग्रामीण थी। कबायली सरचना के अनुकूल पशुपालन मुख्य पेशा तथा कृषि गौण पेशा था। पशुओं में गाय सर्वाधिक महत्वपूर्ण थी, जिसका ऋग्वेद में 176 बार उल्लेख मिलता है।
  • आर्य बहुदेववादी होते हुए भी एकेश्वरवाद में विश्वास करते थे। इस समय प्राकृतिक शक्तियों का मानवीकरण कर उनकी पूजा की गई। यज्ञो का महत्वपूर्ण स्थान था। वे मुख्य रूप से प्रकृति के पूजक थे। 
  • उत्तर वैदिक काल में आर्यो के जीवन मे स्थायित्व आया। कृषि का महत्व व्यापक रूप से बढ़ा तथा विध्यांचल के उत्तर के सम्पूर्ण क्षेत्र में पहुंचने में सफल हुए।
  • उत्तरवैदिक काल में आर्यो के प्रसार का वर्णन शतपथ ब्राह्मण के विदेह माधव की कथा में मिलता है। शतपथ ब्राह्मण में रेवा ( नर्मदा नदी ) का उल्लेख है। उत्तरवैदिक साहित्य में त्रिकबुद, कोच्च, मैनाक आदि पर्वतो का उल्लेख है, जो पूर्वी हिमालय में पड़ते हैं।
  • राजा का राज्याभिषेक राजसूय यज्ञ के द्वारा सम्पन्न होता था, जिसका विस्तृत वर्णन शतपथ ब्राह्मण में मिलता है, राजा की सहायता के लिए उच्च कोटि के अधिकारी थे, जिन्हें रत्नीन कहा गया है। ये कान में रत्न धारण करते थे।
  • उत्तरवैदिक काल में सामाजिक व्यवस्था का आधार वर्णाश्रम व्यवस्था ही था, यद्यपि वर्ण व्यवस्था में कठोरता आने लगी थी। समाज मे चार वर्ण―ब्राह्मण, राजन्य, वैश्य और शूद्र थे। 
  • ऋग्वैदिक काल की अपेक्षा उत्तर वैदिक काल मे स्त्रियों की दशा में गिरावट आई। 
  • उत्तर वैदिक काल मे कृषि कार्यो का मुख्य पेशा हो गया। लोहे के उपकरणों के प्रयोग से कृषि क्षेत्र में क्रांति आ गई। यजुर्वेद में लोहे के लिए श्याम अयस एवं कृष्ण अयस शब्द का प्रयोग हुआ है। शतपथ ब्राह्मण में कृषि की चार क्रियाओ―जुताई, बुआई, कटाई और मडाई का उल्लेख हुआ है। पशुपालन गौण पेशा हो गया।
  • ऋग्वेद में कुल दस मण्डल व 1028 सूक्त हैं। इनमे 1017 सूक्त व 11 बालखिल्य सूक्त है, जो कि हस्तलिखित प्रतियो में परिशिष्ट के रूप में है। बालखिल्य सूक्त आठवें मण्डल में हैं।
  • ऋग्वेद का पहला व दसवा मण्डल सबसे बाद में जोड़ा गया है।
  • ऋग्वेद की पाँच शाखाये है– शाकल, वाष्कल, आश्वलायन, शांखायन तथा मांडूक्य। इनमे से वर्तमान में शाकल सहिता ही उपलब्ध है।
  • ऋग्वेद के सभी मण्डलों के अलग-अलग ऋषि रचयिता हैं―
            मण्डल                           –  रचयिता
           द्वितीय मण्डल                  –  गृत्समद भार्गव
           तृतीय मण्डल                   –  विश्वामित्र
           चतुर्थ मण्डल।                  –  वामदेव अंगिरस
           पंचम मण्डल।                  –  अत्रि
           छठा।                             –  भारद्वाज भंगिरस 
           सातवाँ।                          –  वशिष्ठ
  • ऋग्वेद का पहला मंडल अंगिरा कृषि को आठवां मण्डल कण्व ऋषि को समर्पित है।
  • ऋग्वेद का नवा मण्डल सोम को समर्पित है।
  • पृथ्वी सूक्त तथा गायत्री मंत्र ऋग्वेद में है।
  • ऋग्वेद का पाठ होता नमाक पुरोहित करते थे।
  • ऋग्वेद के एक मंत्र में रुद्र शिव को त्रयम्बक कहा गया है।
  • देवताओं की उपासना मंत्रों द्वारा स्तुति करके तथा यज्ञ बलि अर्पित करके की जाती थी। स्तुति पाठ पर अधिक जोर था।
  • ऋग्वेद के दसवें मण्डल के 95वे सूक्त में पुरुरवा, ऐल तथा उर्वसी का संवाद हैं।
  • ऋग्वेद में घूत क्रीड़ा का वर्णन है।

सामवेद:–

  • साम का शाब्दिक अर्थ गान है। इसमें 75 सूक्त को छोड़ कर शेष सभी ऋग्वेद से लिये गये हैं। ये सूक्त गाने योग्य है। सामवेद भारतीय संगीत शास्त्र पर प्राचीनतम पुस्तक है।
  • सामवेद का प्रथम द्रष्टा वेदव्यास के शिष्य जेमिनी को माना जाता है।
  • सामवेद में मुख्यत सूर्य की स्तुति के मंत्र है।

यजुवेंद:–

  • यह कर्मकाण्ड प्रधान था। इसमे यज्ञ सम्बंधित सूक्तो का सग्रह है। इसके दो भाग है, शुक्ल यजुर्वेद एव कृष्ण यजुर्वेद।
  • शुक्ल यजुर्वेद को वाजसनेयी सहिता भी कहा जाता है। क्योंकि वजसेन के पुत्र याज्ञवल्क्यइसके द्रष्टा थे।
  • प्रथम चार कृष्ण यजुर्वेद से तथा वाजसनेयी सहिता शुक्ल यजुर्वेद से सम्बंधित है। शुक्ल यजुर्वेद का अंतिम अध्याय ईशोपनिषद है।
  • मैत्रेयी सहिता भी यजुर्वेद से सम्बंधित है।

अथवृवेद:–

  • इसकी रचना सबसे बाद में हुई। इसे त्रयी से बाहर रखा गया है। अथवृवेद में जादू-टोना, तंत्र-मंत्र सम्बन्धित जानकारी है। इसमें ओषधविज्ञान तथा लौकिक जीवन के बारे में जानकारी है।
  • अथवृवेद में मगध और अंग जैसे पूर्वी कि क्षेत्रों का उल्लेख है।
  • अथवृवेद में ब्रह्मज्ञान के विषय में जानकारी मिलती है, इसका वाचन ब्रह्मा नामक पुरोहित करता था। अतः इसे ब्रह्मवेद भी कहा जाता था।
  • अथवृ नामक ऋषि इसके प्रथम द्रष्टा थे अतः उन्ही के नाम पर इसे अथवृवेद कहा जाता हैं।

अन्य धार्मिक सम्प्रदाय

अन्य धार्मिक सम्प्रदाय,Other religious denominations,प्रागैतिहासिक काल (वैदिक सभ्यता) "अन्य धार्मिक सम्प्रदाय"
 "अन्य धार्मिक सम्प्रदाय" || Other religious denominations || (वैदिक सभ्यता) प्रागैतिहासिक काल

तीर्थंकर व उनके प्रतीक

तीर्थंकर व उनके प्रतीक,Tirthankaras and their symbols ,प्रागैतिहासिक काल (वैदिक सभ्यता) "तीर्थंकर व उनके प्रतीक"
 "तीर्थंकर व उनके प्रतीक" || Tirthankaras and their symbols || (वैदिक सभ्यता)  प्रागैतिहासिक काल

वैदिक संस्कार

  • गर्भाधान संस्कार- सन्तान उत्पन करने हेतु पुरूष एवं की जाने वाली क्रिया। यह संस्कार प्रथम गर्भ धारण के समय की जाती है।   

  • पुंसवन संस्कार- स्त्री द्वारा गर्भधारण के तीसरे, चौथे तथा आठवे महीने में किया जाता था। इसमे स्त्री पुरूष द्वारा सकल्प लिया जाता था की वे गर्भ को नुकसान पहुंचाने वाला कोई काम नही करेंगे।
  • सीमंतोन्नयन संस्कार- गर्भवती स्त्री के गर्भ की रक्षा हेतु किया जाने वाला संस्कार। इस संस्कार के द्वारा स्त्री के गर्भधारण की सूचना दी जाती है।
  • जातकर्म संस्कार- बच्चे के जन्म के पश्चात पति अपने शिशु को घृत या मधु छटाता था। बच्चे के दीर्घायु के लिए प्राथना की जाती थीं।
  • नामकरण संस्कारशिशु का नाम रखा जाता था।
  • निष्क्रमण संस्कार- जन्म के बारवे दिन से चौथे महीने के बीच किसी दिन बच्चे को घर से बाहर निकलने के अवसर पर किया जाता था।
  • अन्नप्राशन संस्कार- इसमें शिशु को छटे मास में अन्न खिलाया जाता था।
  • चूड़ाकर्म संस्कार- शिशु के तीसरे से आठवे वर्ष के बीच कभी भी मुंडन कराया जाता था।
  • कर्णवेध संस्कार- रोगों से बचने हेतु तथा आभूषण धारण करने के उद्देश्य से किया जाता था।
  • विद्यारंभ संस्कार- पाचवे वर्ष में अक्षर ज्ञान कराया जाता था।
  • उपनयन संस्कार- इस संस्कार के पश्चात बालकद्विज हो जाता था। इस संस्कार के बाद बच्चे को संयमी जीवन व्यतीत करना पड़ता था। बच्चा इसके बाद शिक्षा ग्रहण करने योग्य हो जाता था।
  • वेदारम्भ संस्कार- वेद अध्य्यन करने के लिए किया जाने वाला संस्कार।
  • केशान्त संस्कार- 16 वर्ष का हो जाने पर प्रथम बार दाढ़ी मूंछ को काटा जाता था।
  • समावर्तन संस्कार- विद्याध्ययन समाप्त कर घर लौटने पर किया जाता था।  यह ब्रह्मचर्य आश्रम की समाप्ति का सूचक था।
  • विवाह संस्कार- वर वधु के परिणय-सूत्र में बंधन के समय किया जाने वाला संस्कार था।
  • अंत्येष्टि संस्कार- निधन के समय होने वाला संस्कार।

षोडस  महाजनपद:-

षोडस  महाजनपद,Shodas Mahajanapada,प्रागैतिहासिक काल (वैदिक संस्कार) "षोडस  महाजनपद"
 "षोडस  महाजनपद" || Shodas Mahajanapada || (वैदिक संस्कार) प्रागैतिहासिक काल 

ऋग्वेद के उल्लेखनीय शब्द:-

शब्द।      उल्लेखनीय सख्य     शब्द।      उल्लेखनीय सख्या
इन्द्र             250                 अग्नि          200
वरुण           30                    सोम          114
जन             275                  विश          170
कृषि            24                    गौ             176
मित्र              1                     समिति         9
अश्व             215                  सूर्य            10
यव               15                   ब्रामण         14
क्षत्रिय            9                     शुद्र             1
गंगा               2                     यमुना          3
व्यास             –                     सभा            8
विदथ           122                  वैश्य            1
आर्य              33                   गण            46
गणराज्य:- छठी शताब्दी ई.पू. काल मे अनेक गणराज्य ( गणतंत्र ) का भी अस्तित्व था, जिनमे प्रमुख थे।
  • कपिलवस्तु के शाक्य 
  • सुसुमारगिरी के भग्ग
  • अलकप्प के बुली
  • केसपुत के कालाम
  • रामग्राम के कोलिय
  • कुशीनारा के मल्ल
  • पावा के मल्ल
  • पिपलिवन के मोरिय
  • वैशाली के लिच्छवि
  • मिथिला के विदेह।

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