मुगल साम्राज्य (1526-1707 ई.) | mughal samrajya ka itihas in hindi | mughal samrajya history in hindi

"मुगल साम्राज्य" | मुगल साम्राज्य का इतिहास | mughal samrajya in hindi  | मुगल साम्राज्य के शासक | मुगलकालीन स्थापत्य कला | मुगलकालीन संस्कृति

मुगल साम्राज्य, बाबर द्वारा 1526 ई. में भारत में स्थापित किया गया था। मुगल सम्राटों ने लगभग पूरे भारत पर अपना अधिपत्य जमा लिया था। मुगल साम्राज्य का पतन 1707 ई. में हुआ। मुगल साम्राज्य में तुर्की मूल के चगताई वंश का शासन स्थापित हुआ था।मुगल साम्राज्य के अनेक सम्राटों ने अपना वर्चस्व बनाए रखा था।

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 "मुगल साम्राज्य" (1526-1707  ई.) | मुगल साम्राज्य का इतिहास | mughal samrajya in hindi

मुगल साम्राज्य के सम्राट:-

बाबर (1526 -1530)- बाबर का जन्म 14 फरवरी, 1483 को ट्रांस आक्सियाना की रियासत फरगना में हुआ। बाबर के पिता उमर शेख मिर्जा फरगना का शासक था तथा उसकी माँ का नाम कुतलुग निगार खानम था।

हुमायूँ (1530-40 व 1555-56)- हुमायूँ का जन्म 6 मार्च, 1508 ई.  को काबुल में हुआ था। उसके पिता का नाम 'बाबर' तथा माता का नाम 'महाम सुल्ताना' था। हुमायूँ बाबर की मृत्यु के बाद दिल्ली सिंहासन पर आसीन हुआ।

शेरशाह (1540-1555)- शेरशाह के बचपन का नाम फरीद था। उसका जन्म 1486 ई. में नरमोल परगने में हुआ था।  सूर्यवंशीय शेरशाह अपने वंश में सर्वोत्तम शासक माना जाता है। यद्यपि उसने केवल 5 वर्ष ही शासन किया।

अकबर (1556-1605)- मुगल वंश के महानतम शासक अकबर का जन्म अमरकोट ( सिंध के थार जिले में) के राणा वीरसाल के महल में 15 अक्टूबर, 1542  को हुआ। पिता का नाम हुमायूं था। माता का नाम हमीदाबानू बेगम था। 

जहाँगीर (1605-1627 ई.)- जहाँगीर, ( बचपन का नाम सलीम) का जन्म 30 अगस्त 1569 ई. को फतेहपुर सीकरी मैं शेख सलीम चिश्ती की कुटिया में हुआ। जहाँगीर का प्रथम विवाह 1585 ई. में  मानबाई से हुआ। 

शाहजहाँ (1627-1658 ई.)- शाहजहाँ का जन्म लाहौर में 5 जनवरी, 1592 को मारवाड़ के मोटा राजा उदयसिंह की पुत्री जगत गोसाई के गर्भ से हुआ था व शाहजहाँ के पिता जहाँगीर था।  

औरंगजेब  (1658-1707 ई.)- मुहीउद्दीन मोहम्मद औरंगजेब का जन्म 3 नवंबर, 1618 को उज्जैन के निकट दोहाद नामक स्थान पर शाहजहाँ की प्रिय पत्नी मुमताज महल के गर्भ से हुआ था। 

मुगलकालीन स्थापत्य कला एवं संस्कृति:-

भारत में मुगल वंश के प्रारंभ के साथ ही स्थापत्य कला का विकास हुआ। इस कला में साहित्य के क्षेत्र में भी अत्यधिक उन्नति हुई।

मुगल साम्राज्य की स्थापत्य कला:-

बाबर ग्वालियर की स्थापत्य कला शैली से अत्यधिक प्रभावित हुआ था। उसने पानीपत स्थित काबुली बाग तथा रूहेलखंड स्थित सम्भल में 'जा-ए-मस्जिद' का निर्माण कराया।

दिल्ली स्थित 'दीन पनाह' नामक भवन का निर्माण हुमायूँ ने करवाया था। उसके अतिरिक्त हुमायूँ ने आगरा तथा हिसार जिले के फतेहाबाद में दो मस्जिदों का निर्माण कराया था।इसके शासनकाल में स्थापत्य कला का अदभुद विकास हुआ। 

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"मुगल साम्राज्य" की "स्थापत्य कला" | mughal samrajya in hindi 


अकबर के द्वारा बनवाए गए भवनों में हिंदू तथा पारसी कला शैली के दर्शन होते हैं। आगरा स्थित लाल किला (1565), जो 15 वर्ष में बनकर तैयार हुआ लाहौर का किला, इलाहाबाद का किला (1583), अटक का किला (1581), फतेहपुर सीकरी (1569), इसके अनेक भवन यथा-दीवाने आम, दीवाने खास, कोषागर, पंच महल, जोधाबाई का महल आदि का निर्माण कराया। फतेहपुर सीकरी में ही अपनी दक्षिण विजय के उपलक्ष में 1602 में 'बुलन्द दरवाजा' इमारत का निर्माण कराया यह संसार की संधि इमारतों में से एक है।

जहाँगीर का स्थापत्य कला की तुलना में चित्रकला में अधिक रुझान था। यही कारण है कि इस के शासनकाल में बहुत कम भवनों का निर्माण हुआ आगरा से 5 मील दूर सिकंदरा नामक गांव में जहाँगीर ने अकबर का मकबरा बनवाया।

जहाँगीर की पत्नी नूरजहां का जहाँगीर के शासनकाल में अत्यधिक प्रभाव रहा क्योंकि वह भी कला की पारखी एवं प्रेमी थी। उसने भी कुछ भवनों का निर्माण कराया। एत्मादुद्दौला का मकबरा उसके द्वारा निर्मित प्रमुख इमारत है। इस भवन का निर्माण इरानी शैली पर किया गया। इसके अतिरिक्त नूरजहां ने लाहौर में जहाँगीर मकबरे का निर्माण कराया था।

मुगल सम्राटो में शाहजहाँ ने स्थापत्य कला को सर्वाधिक प्रोत्साहन दिया। उसने अनेकानेक इमारतों यथा- दिल्ली का लाल किला, जमा मस्जिद, ताजमहल, आगरा में स्थित लाल किला में दीवाने आम, दीवाने खास, मोती मस्जिद आदि कलात्मक इमारतों का निर्माण कराया।

दिल्ली के लाल किले में स्थित मोती मस्जिद, औरंगाबाद स्थित राबिया-उद-दौरानी का मकबरा तथा लाहौर में स्थित एक मस्जिद का निर्माण औरंगजेब द्वारा कराया गया था। मुगलकालीन सम्राटों की चित्रकला में विशेष रूचि थी। बाबर, हुमायूं, अकबर, जहांगीर को चित्रकला में विशेष प्रेम था। जहांगीर के काल में चित्रकला अपने चरम शिखर पर पहुंच चुकी थी। अकबर ने तो चित्रकला से संबंधित एक विशेष विभाग की स्थापना की। अकबर के शासनकाल में अब्दुस्समद, फर्रुखवेग, खुनरु, कुली, जमशेद मस्जिद कथा दसवंत, बसावन, ताराचंद्र, जगन्नाथ हिंदू चित्रकार हुए।

मुगल साम्राज्य की संगीत कला:-

मुगलकाल में संगीत कला का अत्यधिक विकास हुआ। सम्राट अकबर ने अनेक गायकों को आश्रय प्रदान किया। तानसेन, बाज बहादुर,बाबा रामदास तथा बैजूबाबरा आदि अकबर के शासन काल के प्रमुख गायक थे।

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"मुगल साम्राज्य" की "संगीत कला" | mughal samrajya in hindi 


जहांगीर एवं शाहजहां को संगीत से विशेष लगाव था। शाहजहां तो स्वयं एक उच्च कोटि का गायक थे। औरंगजेब ने संगीत को आश्रय प्रदान नहीं किया।

मुगल प्रशासन:-

सम्राट- राज्य का सर्वेसर्वा सम्राट अथवा बादशाह हुआ करता था, सम्राट निरंकुश होते थे।

केंद्रीय अधिकारी- शासन सुविधा की दृष्टि से सम्राट अनेक विभाग में अधिकारियों की व्यवस्था करते थे। सम्राट इन अधिकारियों की सहायता से शासन करता था।

कील (वकील-ए-मुतलक)- वकील बादशाह के पश्चात शासन का सबसे बड़ा अधिकारी होता था। बाद में यही अधिकारी वजीर के नाम से जाना जाने लगा।

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"मुगल साम्राज्य" की "मुगल प्रशासन" | mughal samrajya in hindi

मीर बख्शी- यह सैन्य विभाग का अध्यक्ष होता था तथा सेना पर नियंत्रण किए रखता था।

दीवान-  यह शाही कोष का प्रथम तथा उसका हिसाब-किताब देखता था।

साद्र-उस-सुदूर- यह धार्मिक विषयों में सम्राट को सलाह देने वाला अधिकारी था।

मुख्य काजी- राज्य का सबसे बड़ा न्यायाधीश सम्राट होता था। वह प्रत्येक बुधवार को न्याय करता था।

मीर आतिश- यह पद अत्यंत ही महत्व का था। शाही तो खाना इसी के अधीन रहता था।

दरोगा-ए-डाक चौकी- यह गुप्तचर विभाग का प्रधान होता था।

प्रान्तीय शासन:-

मुगलकालीन शासकों ने शासन सुविधा की दृष्टि से अपने साम्राज्य को अनेक प्रांतों में बांट दिया था। इन प्रांतो को सूबा कहा जाता था।

सूबेदार- इसे शासन और देना दोनों के अधिकार प्राप्त थे। इसकी नियुक्ति सम्राट द्वारा की जाती थी। उसे दरबार लगाने का अधिकार प्राप्त था। वह बिना सम्राट की आज्ञा के किसी से युद्ध एवं संधि नहीं कर सकता था।

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"मुगल साम्राज्य" की "प्रान्तीय शासन" |  mughal samrajya in hindi

दीवान- सूबेदार के पश्चात दीवान का पद अत्यंत ही महत्व का था। यह अधिकारी सूबेदार का प्रतिद्वंदी व्यक्ति बनाया जाता था।

प्रांतीय बक्शी- यह सिपेसालार के अंतर्गत सेना की भर्ती, नियंत्रण का उत्तरदायित्व पूर्ण करता था।

सदर काजी- यह न्याय विभाग का अध्यक्ष होता था।

कोतवाल- यह प्रांत में आंतरिक शक्ति एवं सुरक्षा की संपूर्ण व्यवस्था करता था।

मनसबदारी प्रथा:-

अकबर की सैनिक व्यवस्था मनसबदारी कहलाती थी। मनसबदार स्वयं अपनी सेना की भर्ती किया करते थे।मनसबदारों के घोड़ों को दागा जाता था। मनसबदारों को शाही खजाने से वेतन दिया जाता था।

जब्ती प्रथा:-

यह वह प्रथा थी, जिसके द्वारा मृतक मनसबदार की संपत्ति पर उनके पुत्रों अथवा संबंधियों के स्थान पर राज्य का अधिकार माना जाता था।

अहदी सैनिक:-

ये सम्राट के व्यक्तिगत सैनिक हुआ करते थे। इनकी नियुक्ति सम्राट किसी मनसबदार की सेना में भी कर सकता था।

तोपखाना:-

बाबर ने सर्वप्रथम तोपखाने का प्रयोग किया था। बाबर ने इतनी छोटी तोपों का निर्माण कराया, जो एक हाथी अथवा ऊंट की पीठ पर ले जाई जा सकती थी।


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