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"मुगल साम्राज्य" में "शाहजहाँ" का शासनकाल | shahjahan kon tha in hindi | शाहजहाँ कौन था | शाहजहां का इतिहास | शाहजहां मुमताज हिस्ट्री
शाहजहाँ (1627-1658 ई.) :-
शाहजहाँ, का जन्म लाहौर में 5 जनवरी, 1592 को मारवाड़ के मोटा राजा उदयसिंह की पुत्री जगत गोसाई के गर्भ से हुआ था व शाहजहाँ के पिता जहाँगीर था। 1627 ई. में जहांगीर की मृत्यु के पश्चात शाहजहाँ ने अपने सभी भाइयों एवं सिंहासन के सभी प्रतिद्वंद्वियों तथा अंत में दावर बख्श को समाप्त कर 24 फरवरी, 1628 को आगरा के सिंहासन पर बैठा। दावर बख्श खुसरो का पुत्र था।
"मुगल साम्राज्य" में "शाहजहाँ" का शासनकाल | shahjahan kon tha in hindi | शाहजहां मुमताज हिस्ट्री |
शाहजहाँ का विवाह 1611 ई. में आसफ खाँ की पुत्री अर्जुमन्द बानू बेगम से हुआ था जो, बाद में इतिहास में मुमताज महल के नाम से विख्यात हुई। 1631 ई. में प्रसव पीड़ा के कारण उनकी मृत्यु हो गई। आगरा ने उसके शव को दफना कर उसकी याद में संसार प्रसिद्ध ताजमहल का निर्माण किया गया।
कुछ महत्वपूर्ण बिंदु:-
- मुगल साम्राज्य का इतिहास
- मुगल साम्राज्य में जहाँगीर का शासनकाल
- मुगल साम्राज्य में अकबर का शासनकाल
- मुगल साम्राज्य में औरंगजेब का शासनकाल
शाहजहाँ कालीन विद्रोह:-
शाहजहाँ के शासनकाल का पहला विद्रोह 1628 ई. में बुंदेला सरदार जुझार सिंह ने किया। अतः शाहजहां के समय का पहला सैनिक अभियान बुंदेलखंड के बुंदेलाओ के खिलाफ चलाया गया। शाहजहाँ से शासन काल का दूसरा विद्रोह उसके एक योग्य एवं सम्मानित अफगान खाने-जहाँ लोदी ने किया था।मुगल बादशाहो ने पुर्तगालियों को नमक के व्यापार का एकाधिकार दे दिया था, किंतु पुर्तगालियों की उद्दंडता के कारण शाहजहाँ ने 1632 ई. में उसके व्यापारिक केंद्र हुगली को घेर लिया और उस पर अधिकार कर लिया।वजह शाहजहाँ का एक बाज उड़कर गुरु (हरगोविंद) के खेमे में चला गया और जिसे गुरु ने देने से इंकार कर दिया जिसमें दोनों में मतभेद हो गया।
अकबर व जहाँगीर की साम्राज्यवादी नीति को शाहजहाँ ने भी आगे बढ़ाया। इसके अलावा दक्षिणी राज्य सदैव ही मुग़ल विद्रोहियों की शरण स्थली रहे थे। अतः शाहजहाँ के काल में भी दक्षिण भारत पर नियंत्रण हेतु कई अभियान भेजे गए।
शाहजहाँ ने दक्षिण भारत में सर्वप्रथम महावत खाँ के नेतृत्व में अहमदनगर पर आक्रमण किया और 1633 ई. में उसे जीतकर मुगल साम्राज्य में मिला लिया तब अंतिम निजामशाही सुल्तान हुसैनशाह को ग्वालियर के किले में कैद कर दिया।
अहमदनगर को साम्राज्य में मिलाने के बाद शाहजहाँ ने गोलकुण्डा पर दबाव डाला। गोलकुण्डा के शासक कुतुबशाह ने भयभीत होकर 1636 ई. में मुगलों से संधि कर ली।
शाहजहाँ ने 1636 ई. में बीजापुर पर आक्रमण किया और मोहम्मद आदिलशाह प्रथम को संधि करने के लिए विवश कर दिया। फलस्वरूप सुल्तान ने रु. 20 लाख प्रतिवर्ष कर के रूप में देने का वादा किया।
शाहजहाँ की धार्मिक नीति:-
शाहजहाँ अकबर एवं जहाँगीर की तुलना मैं धार्मिक दृष्टि से कट्टर था। शाहजहाँ ने नवीन मंदिरों के निर्माण पर रोक लगाई तथा तीर्थ यात्रा कर पुनः लागू कर दिया। उसने हिंदुओं को मुसलमान बनाने के लिए एक विभाग की स्थापना की तथा अपने शासन के सातवें वर्ष यह निर्णय दिया कि धर्मांतरण करने के बावजूद व्यक्ति को उसकी पैतृक संपत्ति में उत्तराधिकारी मिलेगा।शाहजहाँ ने इलाही संवत् को समाप्त कर पुनः हिजरी संवत् को प्रारंभ किया। दरबार में सिजदा की प्रथा समाप्त की, इसके स्थान पर "चाहार तस्लीम" प्रणाली प्रारंभ की। ईसाई धर्म परिवर्तन पर रोक लगाई।
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