"मुगल साम्राज्य" में "बाबर" का शासन काल (1526- 1530 ई.) | babar kon tha in hindi

"मुगल साम्राज्य" में "बाबर" का शासन काल | babar kon tha in hindi | बाबर कौन था | बाबर की पत्नी का नाम | बाबर की माता का नाम |  बाबर के युद्ध

बाबर (1526 -1530):-

बाबर का जन्म 14 फरवरी, 1483 को ट्रांस आक्सियाना की रियासत फरगना में हुआ। बाबर के पिता उमर शेख मिर्जा फरगना का शासक था तथा बाबर माँ का नाम कुतलुग निगार खानम था।

बाबर पितृ पक्ष की ओर से तैमूर (तुर्क) का पांचवा वंशज था तथा माँ की ओर से वह चंगेज खाँ (मंगोल) का 14 वा वंशज था। अतः बाबर में तुर्कों और मंगोलों दोनो के रक्त का मिश्रण था।

बाबर अपने पिता की मृत्यु के बाद 11 वर्ष की आयु में 1494 ई. में फरगना की गद्दी पर बैठा।1497 ई. में बाबर ने समरकन्द को जीता लेकिन शीघ्र ही समरकन्द व फरगना दोनो बाबर के हाथ से निकल गए।

बाबर कौन था इन हिंदी, बाबर कौन था, मुगल साम्राज्य बाबर, बाबर की पत्नी का नाम, बाबर का मकबरा किसने बनवाया, बाबर की माता का नाम, बाबर के युद्ध, बाबर का बेटा कौन था, बाबर के पिता का नाम, बाबर कौन था कहां से आया था, बाबर कौन था हिस्ट्री इन हिंदी, babar ke pita ka naam kya tha, babar kon tha history in hindi, babar bharat kab aaya, babar ki kahani, babar ki patni ka naam, babar ka janm kab hua tha
"मुगल साम्राज्य" में "बाबर" का शासन काल | बाबर कौन था कहां से आया था |  babar kon tha

1504 ई. में बाबर ने काबुल पर अधिकार कर लिया। 1507 ई. में पूर्वजों द्वारा प्रयुक्त मिर्जा की उपाधि त्याग कर 'बादशाह' की उपाधि धारण कर ली।

बाबर भारत में मुगल साम्राज्य का संस्थापक था। उसने तुर्की मूल के चगताई वंश का शासन स्थापित किया। बाबर ने उजबेगो से तुलूगमा युद्ध पद्ति, ईरानियों से बन्दूको का प्रयोग, अपने सजातीय तुर्को से गतिशील घोड़ों के सफर संचालन तथा कुस्तुन्तुनिया के तुर्कों से तोपखाने (विस्फोटक शस्त्र) का प्रयोग सीखा।

बाबर ने उस्ताद अली कुली नामक एक तुर्क तोपची को तोपखाने का अध्यक्ष बनाया था।बाबर ने 1519 ई. से 1524 ई. तक चार बार भारत पर आक्रमण किया। 1519 में पहला आक्रमण बाजोर पर किया तथा बाजोर आक्रमण के समय ही भेरा के किले को जीतने के लिए भारत मे सर्वप्रथम तोपखाने (बारूद) का प्रयोग किया। चौथे आक्रमण में 1524 ई. में बाबर ने लाहौर व दीपालपुर को जीता।

21 अप्रेल, 1526 ई. को पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर ने इब्राहीम लोदी को पराजित किया। बाबर की विजय का कारण उसका तोपखाना व कुशल सेनापतित्व था। इस युद्ध मे बाबर ने तुलूगमा युद्ध पद्धति तथा तोप सजाने की उस्मानी (रूमी) विधि का प्रयोग किया गया।

पानीपत की जीत के बाद बाबर ने काबुल के प्रत्येक निवासी को एक-एक चांदी का सिक्का दान में दिया। इस उदारता के कारण को कलन्दर भी कहा जाता हैं।

   कुछ महत्वपूर्ण बिंदु:-

17 मार्च, 1527 ई. को बाबर ने आगरा से 40 किमी दूर खानवा (भरतपुर के पास रूपवास में) नामक स्थान पर राणा सांगा को पराजित किया। खानवा के युद्ध का मुख्य कारण पानीपत विजय के बाद बाबर का भारत में रहने का निश्चय था।

खानवा विजय के बाद बाबर ने गाजी की उपाधि धारण की। खानवा के युद्ध के बाद बाबर ने चंदेरी के युद्ध (28 जनवरी, 1528 ई.) में मेदिनीराय को पराजित किया। 

बाबर ने 6 मई, 1529 को घाघरा के युद्ध में बंगाल व बिहार की लोहानी अफगान सेना को पराजित किया। बाबर का यह अंतिम युद्ध था।

26 दिसम्बर, 1530 ई. को आगरा में बाबर की मृत्यु हो गई। बाबर ने तुर्की भाषा में अपनी आत्मकथा तुजुके बाबरी (बाबरनामा) में तत्कालीन भारत का वर्णन किया है।

बाबर फारसी में मुबाइयान नामक विशेष पद शैली का जन्मदाता कहा जाता है। मुबाइयान मुस्लिम कानून की पुस्तक है।  बाबर ने फारसी में भी कविताएं लिखी।

बाबर नक्शबंदी सिलसिले  के ख्वाजा अबैदुल्ला अहरार  का शिष्य था।  बाबर ने सड़क नापने के लिए गज-ए-बाबरी का प्रयोग किया।

बाबर का साम्राज्य काबुल से लेकर बिहार तथा दक्षिण में  ग्वालियर तक था। बाबर को मुगल वंश की स्थापना के कारण इतिहास के प्रसिद्ध विजेताओं के बीच उच्च स्थान पर रखा जाता है।


Comments