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तुगलक वंश | Tughlaq dynasty | तुगलक वंश की स्थापना कब हुई? | दिल्ली सल्तनत का उद्धारक तुगलक वंश | तुगलक वंश से संबंधित प्रश्न?
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दिल्ली सल्तनत का उद्धारक तुगलक वंश-
सितम्बर 1320 ई. में गाजी मलिक खुसरोशाह को दिल्ली के निकट हुए युद्ध में परास्त किया। गयासुद्दीन तुगलक के नाम से दिल्ली का सुल्तान बना। यही कारण है कि उसे तुगलक वंश का संस्थापक माना जाता है। वह 1325 ई. तक सुल्तान पद पर रहा।तुगलक वंश || तुगलक वंश का अंतिम शासक || Tughlaq dynasty |
अपने शासनकाल में उसने कृषकों की भलाई के उद्देश्य से पूर्व की भांति पैदावार का 1/5 भाग लगान वसूल करना प्रारम्भ किया तथा अकाल की स्थिति में भूमि कर को माफ करने की व्यवस्था की। 1325 ई. में गयासुद्दीन तुगलक की मृत्यु हो गई।
मुहम्मद-बिन-तुगलक-
गयासुद्दीन तुगलक की मृत्यु के पश्चात 1325 ई. में उसका पुत्र जूना खाँ मुहम्मद-बिन-तुगलक के नाम से दिल्ली का सुल्तान बना। उसने 1351 ई. तक शासन किया। अपने शासन के दौरान उसने अनेक अच्छे एव बुरे कार्य किए। उसने कृषि विभाग का निर्माण किया।जिसका नाम 'दिवानेकोही' रखा गया। उसने दिल्ली के स्थान पर देवगिरि को अपनी राजधानी बनाया तथा इस नयी राजधानी का नाम परिवर्तित कर दोलतबाद रखा।
भारतीय इतिहास में मुहम्मद-बिन-तुगलक को मुद्रा बनाने वालों का राजा कहा गया है। इब्बनतूता नामक यात्री इसी के शासनकाल में भारत आया। सुल्तान ने उसे दिल्ली का काजी नियुक्त किया।
थट्टा के निकट 20 मार्च, 1351 ई. को उसकी मृत्यु हो गई।
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फिरोजशाह तूगलक-
हिसार, फिरोजपुर, फिरोजाबाद तथा जौनपुर आदि नगरो की स्थापना इसी के काल मे हुई। इसी के शासनकाल में मेरठ तथा टोपरा से अशोक स्तम्भ दिल्ली लाए गए। फिरोज ने लगभग 24 करो को समाप्त कर दिया। केवल चार कर 'खराज', 'जकात', 'खम्स', तथा 'जजिया' प्रचलन में रहे।
पानी की उत्तम व्यवस्था हेतु कुओं और नहरो का निर्माण कराया। गैर-मुस्लिमों को बलात् मुसलमान बनाने का प्रयास किया हिन्दुओ से कठोरता से 'जजिया' कर वसूल किया। फिरोज तुगलक की सितम्बर 1388 ई. में मृत्यु हो गई।
फिरोजशाह तुगलक की मृत्यु के पश्चात तुगलक शाह गयासुद्दीन तुगलक द्वितीय के नाम से सितंबर 1388 ई. में दिल्ली का सुल्तान बना। उसने असंतुष्ट सरदारों ने अबू बक्र को फरवरी 1389 ई. में दिल्ली के सिंहासन पर बैठा दिया।
शहजादा मुहम्मद ने कुछ शक्तिशाली अमीरों की सहायता से अप्रैल 1389 ई. में 'समाना' में स्वयं को सुल्तान घोषित कर दिया। परिणामतः शहजादा मुहम्मद एव अबू बक्र के मध्य संघर्ष हुआ। जिसमें अबू बक्र को सिहांसन छोड़ना पड़ा, किन्तु शहजादा मुहम्मद भी अधिक समय तक शासन न कर सका। जनवरी 1394 ई. में उसकी मृत्यु हो गई।
हुमायूँ-
शहजादा मुहम्मद की मृत्यु के पश्चात उसका पुत्र हुमायूँ 'अलाउद्दीन सिकन्दर शाह' के नाम से दिल्ली के सिंहासन पर आसीन हुआ, किन्तु छः सप्ताह के उपरान्त ही उसकी मृत्यु हो गई।
नासिरुद्दीन मोहम्मद शाह-
'अलाउद्दीन सिकन्दर शाह' की मृत्यु के उपरान्त उसका छोटा भाई नासिरुद्दीन महमूद शाह दिल्ली के सिंहासन पर आसीन हुआ, यही तुगलक वंश का अंतिम सुल्तान था। 1412 ई. में नासिरुद्दीन महमूद की मृत्यु के साथ ही तुगलक वंश का अंत हो गया।तैमूर लंग एक महत्वाकांक्षी सम्राट था। 1369 ई. में वह समरकंद (मध्य एशिया) के सिहांसन पर आसीन हुआ। 1398 ई. में तैमूर ने भारत पर आक्रमण कर दिया तथा झेलम, रावी आदि को पार करता हुआ मुल्तान, दियालपुर, पाक, पतन, भटनेर, सिरसा तथा कैथल को लुटता हुआ दिल्ली आ पहुँचा। 1399 ई. में वह फिरोजाबाद मेरठ, हरिद्वार, कांगड़ा तथा जम्मू को लूटता हुआ समरकंद चला गया। जाने से पहले उसने सैयद वंशीय खिज्र खाँ को मुल्तान, लाहौर तथा दीपालपुर की जागीर सौप दी।
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